राज्यस्तरीय मिनी माता - डॉ मीरा शुक्ला
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संछिप्त परिचय
उपलब्धि: 25 वर्षो से निरंतर समाज सेवा के क्षेत्र में सेवा देते हुए हजारों लोगों के सामाजिक व् आर्थिक स्तर में प्रभावपूर्ण उत्थान लाया गया । मीरा शुक्ला एक प्रसिद्ध कार्यकर्ता है, जो महिलाओं के जीवन में सुधार के लिए काम कर रही है। वह मुख्य रूप से आदिवासी जिले (जैसे- सरगुजा, सूरजपुर कोरिया, कवर्धा , जशपुर, बलरामपुर) छत्तीसगढ़ के सैकड़ों गावों में कार्य करती है। वे मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद की अध्यक्ष है तथा संस्था द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही योजनाएं जैसे बाल गृह (बालक)(6 वर्ष- 18 वर्ष), बाल गृह (बालिका)(6 वर्ष- 18 वर्ष), स्वाधार गृह(18 वर्ष- 55 वर्ष) (जिसमें संकट ग्रसित महिलाओं एवं लड़कियां रहती है), । टूटते हुए परिवारों को जोड़ना एवं उनके दांपत्य जीवन में वापस खुशियां लौटना भी उनके मुख्य कार्यों में से एक है।
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पूर्ण-परिचय
नाम -डा० मीरा शुक्ला
पति-श्री सुशील शुक्ला
जन्मतिथि: 10 मई 1968
कार्य: समाज सेवा (NGO)
शैक्षणिक योग्यता: पी एच डी
उपलब्धि: 25 वर्षो से निरंतर समाज सेवा के क्षेत्र में सेवा देते हुए हजारों लोगों के सामाजिक व् आर्थिक स्तर में प्रभावपूर्ण उत्थान लाया गया ।
मीरा शुक्ला एक प्रसिद्ध कार्यकर्ता है, जो महिलाओं के जीवन में सुधार के लिए काम कर रही है। वह मुख्य रूप से आदिवासी जिले (जैसे- सरगुजा, सूरजपुर कोरिया, कवर्धा , जशपुर, बलरामपुर) छत्तीसगढ़ के सैकड़ों गावों में कार्य करती है। वे मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद की अध्यक्ष है तथा संस्था द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही योजनाएं जैसे बाल गृह (बालक)(6 वर्ष- 18 वर्ष), बाल गृह (बालिका)(6 वर्ष- 18 वर्ष), स्वाधार गृह(18 वर्ष- 55 वर्ष) (जिसमें संकट ग्रसित महिलाओं एवं लड़कियां रहती है), । टूटते हुए परिवारों को जोड़ना एवं उनके दांपत्य जीवन में वापस खुशियां लौटना भी उनके मुख्य कार्यों में से एक है।
पुरस्कार एवं पुर्नगठन
1. वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महिला उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर ' राज्यस्तरीय मिनी माता सम्मान ' से सम्मानित किया गया।
2. वर्ष 2022 में उत्कृष्ट सामाजिक कार्य एवं महिलाओं के सशक्तिकरण के दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने पर पुलिस विभाग द्वारा सर्वश्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
3. वर्ष 2022 में नई दुनिया समाचार पत्र द्वारा ' नन्ही खुशीआं अवार्ड ' से सम्मानित किया गया।
4. महिलाओं एवं कमजोर वर्ग के लिए कार्य करने पर माननीय राज्य मंत्री श्रीमति लता उसेही द्वारा
सम्मानित
5. महिलाओं के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य स्तरित नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित
6. स्वास्थ्य पोषण एवं बच्चों के कुपोषण में सुधार के लिए धर्मदाई अभ्यास का नवाचार पर केयर द्वारा सम्मानित
7. एस एच जी गठन एवं लिंकेज के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने पर नाबार्ड छत्तीसगढ़ द्वारा सम्मानित
8.वर्ल्ड फाउंडेशन द्वारा की मीरा शुक्ला को महिला शिखर सम्मान, उनके द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के विकास के लिए प्रदान किया गया। (2017-18)
9.अखिल भारतीय अग्रवाल महिला सम्मेलन एवं श्री अग्रवाल महिला सभा अम्बिकापुर द्वारा डॉ. मीरा शुक्ला को महिला के उत्थान पर उल्लेखनीय कार्य हेतु अग्र श्री महिला पुरस्कार से सम्मानित किया (2017-18)
10.पहचान कला साहित्य समिति की ओर से डॉ. मीरा शुक्ला को उनके उल्लेखनीय कार्य हेतू सम्मानित किया गया।
11.छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा डॉ. मीरा शुक्ला को बाल गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें बाल संरक्षण / बाल विकास / बाल कल्याण / बच्चों के सर्वोत्तम हित के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु इस सम्मान को प्रदान किया गया (2018-19)
12.ट्रेड युनियन कॉसिल छत्तीसगढ़ द्वारा श्रमिक जगत् के प्रति समर्पित व्यक्तित्व हेतू डॉ. मीरा शुक्ला
को सृजन श्री के सम्मान से अलंकृत किया। (2018-19)
नारी जगत की एक देदीव्यमान नक्षत्र
सधन आदिवासी अंचक में समाज सेवा के अम्बर की एक देदीव्यमान नक्षत्र है डा० मीरा शुक्ला, असहाय शोषित पीडित महिलाओं की सहारा तथा बालक बालिकाओं के लिये एक माँ के रूप में स्थापित है। डा० मीरा शुक्ला नारी जगत की एक गौरवमयी स्तम्भ है। इनका जीवन समाजसेवा में रच बस गया है। विगत पच्चीस वर्षों से छत्तीसगढ़ के सरगुजा, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, रायगढ, कर्वधा, जशपुर, बलरामपुर जिलों में इनके द्वारा समाज सेवा के अनेकों अनुकरणीय कार्य किये गये हैं। अंचल की प्रख्यात समाज सेवी संस्था मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद की स्थापना इनके द्वारा की गई है। आज इस संस्था के माध्यम से अनेकानेक स्व सहायता समूह स्वावलम्बन की अनेक योजनाये, बालिकाह स्वाधारगृह चल रहे हैं। संकटग्रस्त महिलाओं तथा बालिकाओं को संकटमुक्त कर उनके जीवन को नयी ज्योति देना इनका परम उद्देश्य तथा लक्ष्य है। इन्होने अपने परामर्श के माध्यम से अनेक टूटे हुये बिखरे हुये परिवारों को बसाया है, जो आज सुखमय जीवन जी रहे हैं। इनके जीवन की सच्चाई यह है कि इन्होने अपना जीवन समाज सेवा के लिये ही अर्पित कर दिया है। बालक बालिकाओं की भारी संख्या है जो इन्हें अपनी माँ मानते हैं और माँ की तरह प्यार और व्यवहार करते हैं। अनेक महिलाओं को इन्होंने अपने प्रयास से इतना स्वावलम्बी बना दिया है कि ये महिलायें आज अपने परिवार का आर्थिक आधार बन गयी हैं। महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में इनके कार्य समाज के लिये एक अनुकरणीय गाथा है।इनके कार्यों के कारण इन्हें अनेक शासकीय और अशासकीय समितियों में रखा गया है जिनका सारोकार महिला और बाल विकास से हैं। इन्हें समितियों का अध्यक्ष बनाया गया है, अहम दायित्व दिये गये हैं। सूचना एवं प्रकाशन विभाग की मीडिया प्रमाणीकरण निगरानी समिति, स्कूल एवं शिक्षा विभाग में संचालन सह निगरानी समिति, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में जिला स्तरीय सर्वेलेंस (आई०डी०एस पी०) समिति, कार्य परियोजना अधिकारी, एकीकृत वा०वि परियोजना में निर्धन कन्या सामूहिक विवाह, खण्ड स्तरीय समिति, महिला एवं बाल विकास विभाग में आंतरिक शिकायत समिति, महिला अदालत समिति, संचालन सह निगरानी समिति, महिला सुरक्षा एवं संरक्षण समिति, जिला स्तरीय सलाहकार समिति, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना वि.ख. स्तरीय समिति, बाल विवाह प्रथा निषेध समिति, कामकाजी महिलाओं के योन उत्पीड़न रोकने हेतु गठित समिति, महिला उत्पीड़न निराकरण समिति, श्रम विभाग की बाल श्रम परियोजना समिति, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की एफ० ई० समिति सहित अनेक महिला बाल विकास, श्रम, स्वास्थ्य तथा समाज सेवा से संबंधित समितियां है जिनकी ये पदाधिकारी है।
डॉ० भीरा शुक्ला ने कभी भी किसी पद या पुरस्कार की आकाँक्षा से कार्य नहीं किया है, समाज सेवा इनके जीवन शैली की एक मौलिक प्रवृति है, शासन तथा समाज के द्वारा इन्हें अनेक पुरस्कारो से अलंकृत किया है। छत्तीसगढ़ शासन की ओर से महिला उत्पन्न कार्य करने हेतु राज्य की महिला बाल विकास मंत्री द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया है।
छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा नारी शक्ती सम्मान से भी इन्हें सम्मानित किया गया है। अंतराष्ट्रीय संस्था केयर के द्वारा इन्हें धर्मदायी पुरस्कार दिया गया है। नाबार्ड के द्वारा इन्हें महिलाशसक्तीकरण हेतु सम्मान प्रदान किया गया है। श्रमिक क्षेत्र में महिला श्रमिकों के विकास कार्यों के परिप्रेक्ष्य में इन्हें श्रम-रत्न के सम्मान से अलंकृत किया गया है, महिलाओं को कानूनी जागरुकता प्रदान करने कानुन के प्रति सजग एवं जागरुक करने के लिए विधिक्षेत्र में कार्यरत सामाजिक सेवा संस्था द्वारा इन्हें नारी-रत्न के सम्मान से अलंकृत किया गया है। अनेकानेक सम्मानों और पुरस्कारों से अलंकृत डा० मीरा शुक्ला का व्यक्तित्व एवं कृतित्व समाज सेवा के क्षेत्र में एक मणि का पत्थर है। अनेक विषयों पर पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद आदिवासी विकास पर रिसर्च कर इन्होंने डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त कर ये आदिवासी बाहुल्य आंचल के लिये गौरव का विषय बन गई हैं। इस क्षेत्र में डा० मीरा शुक्ला संकटपात्र महिलाओं के लिये एक आवाज के रूप में उभरी है, इनके जीवन की सांस समाज सेवा के लिये अर्पित प्रतीत होती है। इनकी जीवन शैली ने इस सार्थकता को चरितार्थ कर दिया है कि नारी अबला नहीं है, बस वह समाज की एक बलवती स्तम्भ है। डा० मीरा शुक्ला की समर्पित समाज सेवा की शैली देखकर लगता है ये सरगुजा की मदर टेरेसा है।